शत प्रतिशत : प्रेम और मानवता के पक्ष में खड़ी मार्मिक कहानियाँ

समीक्षक : गोविंद सेन डॉ. हंसा दीप हिन्दी कथा साहित्य की एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। प्रस्तुत संग्रह हंसा जी का तीसरा कहानी संग्रह है। इनके खाते में तीन उपन्यास भी हैं। हंसा जी टोरंटो में निवास करती हैं पर उनका संबंध भारत के मध्यप्रदेश के…

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भूमंडलीकरण के संदर्भ में भारत और हिंदी

*सुरजीत सिंह वरवाल इंद्र मित्रं करुणमग्नि माहुरथो दिव्य:स सुपुर्णो गुरुत्मान, एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति अग्नि यम:मातरिश्वानमाह ।[1] (अर्थात ईश्वर एक है, सिर्फ नाम के फर्क हैं ) जिस प्रकार से ईश्वर के विभिन्न नाम होते हुए भी उसकी सत्ता, अस्तित्व को मनुष्य अहसास कर…

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अभिव्यक्‍ति की स्वतंत्रता से जुड़े प्रश्‍न

-अखिलेश गुप्ता मुक्तिबोध ने जब सन्‌ 1962 में ‘भारत : इतिहास और संस्कृति’ मध्यप्रदेश के हाईस्कूल की कक्षाओं के लिए लिखा तब शिक्षा विभाग ने उसे पाठ्यक्रम में शामिल करने की स्वीकृति दे दी । लेकिन इसके बाद संस्कृति के तथाकथित रक्षकों ने मुक्तिबोध और…

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नयी इबारत लिखते समकालीन कविता के युवा स्वर

समकालीन कविता के परिदृश्य में सैकड़ों नाम आवाजाही कर रहे हैं । वरिष्ठ पीढ़ी के बाद युवा पीढ़ी भी काफी हद तक साहित्यिक यात्रा के कई पड़ाव पार कर चुकी है । इनके एक दम पीछे युवतर एवं नवोदित कवि पीढ़ी समकालीन कविता की मशाल…

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परिवर्तन ब्लॉग पर कॉलम लिखने के लिए आमंत्रण

परिवर्तन पत्रिका के पाठकों/रचनाकारों को सादर सूचित किया जाता है कि परिवर्तन पत्रिका के वेबसाइट पर ‘परिवर्तन ब्लॉग’ नाम से नियमित कॉलमों की शुरुआत की जा रही है, जो निम्न विषयों से संबंधित होंगे: 1- फिल्म समीक्षा 2- पुस्तक समीक्षा 3- राजनीतिक कार्यवाहियों की समीक्षा…

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साहित्य और समाज

*डॉ. मो. मजीद मिया साहित्य, संस्कृत के सहित शब्द से बना है । साहित्य की उत्पति को संस्कृत साहित्य के आचार्यों ने “हितेन सह सहित तस्य भवः” की संज्ञा दी हैं जिसका अर्थ है कल्याणकारी भाव । साहित्य में जीवन एवं जगत का कल्याण होना…

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ईशावास्य : रामचरित मानस का आधार दर्शन

*प्रभुदयाल मिश्र तुलसीकृत रामचरित मानस सगुण राम के चरित-गायन ग्रन्थ के रूप में जगत प्रसिद्ध है । इसके दार्शनिक आधारों की खोज करते हुए इसे विशिष्टाद्वैत परक रचना माना जाता है । किन्तु हम तुलसी के इस प्रतिज्ञा कथन को संभवतः कैसे भी विस्मृत नहीं…

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