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अंक-33 जनवरी-मार्च 2024 प्रकाशित कर दिया गया है
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अनुक्रमणिका
संपादकीय | |
उल्लुओं के गाँव में प्रवास का एक महिना | डॉ. महेश सिंह |
आलेख/शोध-आलेख | |
विश्व चेतना के आंगन का दीपक : गोरा | डॉ. नितेश व्यास |
कौन बताएगा बूंद से आँसू कितना भारी है ! | शैलेन्द्र कुमार शुक्ल |
कश्मीर में संत परम्परा : एक विवेचन | प्रो. रूबी जुत्शी |
एक आदिवासी भील सम्राट ने प्रारंभ किया था ‘विक्रम संवत’ | जितेन्द्र विसारिया |
प्रेम में मुक्ति का संदेश देती संघर्ष-यात्रा | पुनीता जैन |
सिक्ख धर्म में गुरु नानक देव की शिक्षाएं | सतवंत कौर |
भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर डॉ. अंबेडकर के विचार | अतुल कुमार |
किन्नौरी देव परंपरा में वाद्ययंत्रों की साधकता | दीपमाला एवं डॉ. प्रीति सिंह |
कृष्ण-काव्य परंपरा में प्रेम और अध्यात्म | किशन सरोज |
सामाजिक-सांस्कृतिक-परिवर्त्तन में मीराबाई की भूमिका | चन्दन कुमार |
कर्म आस्था, एवं आध्यात्मिकता की अद्भुत गाथा : प्रहलाद एक महाकाव्य | डॉ. अमरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव एवं डॉ. तरु मिश्रा |
समकालीन हिन्दी ग़ज़ल में समसामयिक संदर्भ | डॉ. पूनम देवी |
‘मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यासों में स्त्री जीवन के चित्र | डॉ. सारिका देवी |
श्रीलाल शुक्ल के उपन्यासों में मध्यवर्ग की भूमिका | डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव ‘सागर’ |
इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक के चर्चित हिन्दी उपन्यासों में समकालीन जीवन-मूल्य : स्वार्थयुक्त व्यक्ति और उसकी मानसिकता | डॉ. जमुना सुखाम |
‘वह लड़की’ उपन्यास में चित्रित दलित नारी का अंतर्द्वंद्व | डॉ. उषा |
मृदुला गर्ग की कहानी में स्त्री चेतना के स्वर | डॉ. उर्मिला शर्मा |
विभाजन की त्रासदी और राज़ी सेठ की कहानियाँ (विशेष संदर्भ:‘मुलाकात‘,’रुको इंतजार हुसैन‘,’बाहरी लोग‘,’किसका इतिहास‘) | कोमल कुमारी |
जयराम सिंह गौर’ की कहानियों में ग्रामीण संवेदना एवं मूल्य-दृष्टि | डॉ. रहीम मियाँ |
वर्तमान परिप्रेक्ष्य मे हिंदी भाषा की दशा और दिशा | डॉ. नितीन कुंभार |
नाटक/रंगमंच | |
भारतीय रंगमंच में स्त्रियों की उपस्थिति का प्रश्न व निर्देशिका के रूप में उनकी भूमिका | आरती |
खमनाट्य : कोरकू जनजाति का लोकनाट्य | डॉ. नितप्रिया प्रलय |
मीडिया और सिनेमा | |
स्वाधीनता आंदोलन में हिन्दी पत्रिकाओं की भूमिका | दिगंत बोरा |
आंचलिक पत्रकारों की सामाजिक स्थितियों का अध्ययन (उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिला के संदर्भ में) | अंकिता पटेल |
कहानियाँ | |
अधज़गी रातों के सपने | डॉ. रंजना जायसवाल |
स्मरण | डोली शाह |
बसंती | डॉ. टिकेश्वर प्रसाद जंघेल |
मौसीबाड़ी के तीन दिन | डॉ. अमरेन्द्र सुमन |
जीवन का अंतिम प्रहर | सतीश ‘बब्बा’ |
कविताएँ | |
यदुवंश यादव की कविताएँ | |
डॉ. सुनील कुमार शर्मा की कविताएँ | |
पुस्तक समीक्षा | |
प्रकृति, समाज, प्रेम, संस्कृति और नदियों को बयां करती कविताएँ | विरेश ‘श्रीराजे’ |
साधारण से असाधारण की यात्रा : रामनगीना मौर्य की कहानियाँ | डॉ. रेशमी पांडा मुखर्जी |